नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस एयर-लॉन्च मिसाइल के उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण किया। यह 400 किमी की रेंज में किसी भी लक्ष्य को मार गिराने में सक्षम है। परीक्षण के दौरान बंगाल की खाड़ी में मिसाइल ने टारगेट पर सटीक निशाना साधा।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह मिसाइल के एयर-लॉन्च वर्जन के एंटी-शिप वर्जन का परीक्षण था। इससे पहले सेना ने 29 नवंबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह मिसाइल जमीन से जमीन पर मार सकती है। यह परीक्षण भारतीय सेना की अंडमान-निकोबार द्वीप समूह कमान ने किया था।
– लड़ाकू विमान सुखोई-30 से बंगाल की खाड़ी में साधा सटीक निशाना
– ब्रह्मोस मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है
– ब्रह्मोस को पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है
भारत-रूस साझा समझाैता
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है। रक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मोस का नाम भगवान ब्रह्मा के ताकतवर शस्त्र ब्रह्मास्त्र के नाम पर दिया गया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि यह एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज और घातक है।
क्रूज व बैलेस्टिक मिसाइल में अंतर
मिसाइल एक गाइडेड हवाई रेंज वाला हथियार है जो आमतौर पर जेट इंजन या रॉकेट मोटर से खुद उड़ान भरने में सक्षम होता है। मिसाइलों को गाइडेड मिसाइल या गाइडेड रॉकेट भी कहा जाता है। सीध शब्दों में कहें तो मिसाइल का मतलब है किसी विस्फोटक को किसी टारगेट की ओर फेंकना, दागना या भेजना।
बैलिस्टिक मिसाइल
ये मिसाइल छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण की वजह से तेजी से नीचे आते हुए अपने टारगेट को हिट करती है। बैलेस्टिक मिसाइल को बड़े समुद्री जहाज या फिर रिर्सोसेज युक्त खास जगह से छोड़ा जाता है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि और धनुष बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
ज्यादा वजनी बम ले जा सकती है
बैलिस्टिक मिसाइलें साइज में क्रूज मिसाइलों से बड़ी होती हैं। ये क्रूज से ज्यादा भारी वजन वाले बम ले जा सकती है। बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में अर्धचंद्राकार रास्ते पर चलती है। जैसे ही रॉकेट से उनका संपर्क टूटता है, उनमें लगा बम गुरुत्वाकर्षण की वजह से जमीन पर गिरता है। छोड़े जाने के बाद इन मिसाइलों का रास्ता नहीं बदलता।
– ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है।
– ब्रह्मोस रूस की पी-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।
– ब्रह्मोस के कई वर्जन मौजूद
– ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है।
– जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है।
– पनडुब्बी से ब्रह्मोस को पानी के अंदर 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी।
क्रूज मिसाइल
क्रूज मिसाइल एक तरह की मानवरहित सेल्फ गाइडेड मिसाइल है। यह मिसाइल तेज रफ्तार विमानों की तरह जमीन के काफी करीब उड़ान भरती है। इसके लिए उनके नेविगेशन सिस्टम में रास्ते की निशानदेही फीड की जाती है। इसलिए ही इन्हें क्रूज मिसाइल का नाम दिया गया है। यह जेट इंजन टेक्नोलॉजी की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरती हैं। इनकी स्पीड बहुत तेज होती है। क्रूज मिसाइलों को क्षमता के हिसाब से सबसॉनिक, सुपरसॉनिक और हाइपरसॉनिक क्रूज मिसाइलों में बांट सकते हैं। उदाहरण के लिए भारत की ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसॉनिक मिसाइल है।
बहुत कम ऊंचाई पर उड़ान
क्रूज मिसाइल जमीन से काफी कम, महज 10 मीटर की, ऊंचाई पर ही उड़ान भरती है। कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से ही यह रडार की पकड़ में नहीं आती हैं। इन्हें जमीन, हवा, पनडुब्बी और युद्धपोत कहीं से भी दागा जा सकता है।
क्रूज मिसाइल आकार में बैलेस्टिक मिसाइल से छोटी होती है और उन पर हल्के वजन वाले बम ले जाए जाते हैं। क्रूज मिसाइलों का यूज पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए होता है।